24 अगस्त 2009

सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो

सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो

हर इक सफ़र को है महफूज़ रास्तों की तलाश
हिफाज़तों की रवायत बदल सको तो चलो

यही है जिंदगी, कुछ ख्वाब,चन्द उम्मीदें
इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आपको खुद ही बदल सको तो चलो
* निदा फाज़ली *

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