28 मई 2009

इमान

चंद सिक्कों की खनक में बिक रहा इमान
हर दफ्तर में मिल जायेंगे आपको बेईमान
हर तरफ देखने को मिल जायेगा भरपूर भ्रष्टाचार
ताक़ में रखे दिख जायेंगे सहिंता औ आचार
सूप तो सुप अब तो चलनी भी बोलने लगी है
इसलिए आज कल जूता फ़ेंक प्रतियोगिता होने लगी है

27 मई 2009

"जिन्दा लाशों की बस्ती"

यूँ घूमते घूमते इस शहर में आ गया हूँ
जिन्दा लाशों की किसी सुनसान बस्ती में आ गया हूँ
हर कोई बैठा अपने ही कफ़न की तैयारी कर रहा है
आदमी ही आदमी को नोच-नोच कर खा रहा है
सोचा किसी हरे पेड़ की छाया में सुस्ता लेता हूँ
पर यहाँ तो हर दरख्त सूखा नज़र आया है
यहाँ हर रिश्ते नाते झुठे से लगते है
माँ बाप भाई बहन सब बेगाने से लगते है
होली में भी छुट रही पिचकारी से गोली है
रंग गुलाल बहुत ही मंहगे हो गए
भूल गए वो टेसू के फूल छुटा अपना देश
आज खेलते खुनी होली बदल के हम भी भेष
ईद की सेवियों में चीनी जरा सी कम हो गई
पुन्नी की खीर में भी चंदा की चमक खो गई
बैसाखी की धूम भी पंजाब में अब कम हो गई
सोचता हूँ क्या हो गया है मेरे देश को
क्या इसकी भी मानवता कहीँ धूमिल हो गई
गणेश चतुर्थी मानते थे हम लोग मिल कर
आज भगवान को भी राजनीति पसंद आ गई है
दुर्गोत्सव में मित्रों का लगता था जमघट
होती थी साथ मिल के पूजा फिर प्रसाद वितरण
घर घर जाते थे लेकर आरती का थाल हाथ में
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी योगदान देते थे
अपने अपने कर्तव्य से कोई भी पीछे न हटते थे
दिवाली की रात में सब मिल कर घुमने निकलते थे
चौपालों में लगती थी बड़ी बड़ी सभाएं
रामलीला का मार्मिक प्रसंग खेला जाता था
रावण को मार हर दिल में राम बसता था
रावण आज राम से ज्यादा भारी हो गया है
दुर्योधन ओर सकुनी को भी मिला लिया है
बस नही बदला है तो सीता का हाल इस युग में
उस समय भी आग से गुजरना पड़ा था उसको
ओर आज भी हर कदम आग में चलना है उसको
आज आंसू आ जाते है देख कर हाल 'राणा'
विधवा की पेंशन के लिए भी किसी को अपने
आंचल से बंधे १०० का नोट निकालते देखता हूँ
यूँ घूमते घूमते इस शहर में आ गया हु
जिन्दा लाशों की किसी सुनसान बस्ती में आ गया हु

25 मई 2009

इंसान

हर तरफ़ चल रही गोलियां है,हर दिशा में बम के धमाके है

हर तरफ़ बारूद की गंध है,हर तरफ़ दरवाज़ा आज बंद है

हर तरफ़ बिक रहा प्यार है ,हर तरफ़ बिक रहा इंसान है
सितम सह के भी चुप हो जाओ, वरना मच रहा बवाल है

21 मई 2009

दोस्तों राम राम
आज बहुत दिनों बाद लिख रहा हूँ अब आप कारण पूछेंगे तो पहला कारण तो ये है कि एक तो हमें समय नही मिला और जब समय मिला तो हमें जाना पड़ा लख्ननऊ खैर ये सब तो चलता रहेगा
आज मैं आपको और किसान भाइयो को फसल बीमा के बारे में बताता हूँ हालाँकि ये सब बताने वाले तो बहुत हैं लेकिन कौन बताये के चक्कर में कोई नही आता यही कुर्सी का काम है ये कुर्सी भी आदमी को निकम्मा बना देती है या तो निकम्मों को कुर्सी मिल गई है
तो जानिए फसल बीमा के बारे में :-पहले जान लेते है कि फसल बीमा क्या होता है
१.किसी भी आपदा से होने वाली फसलीय हानि कि स्थिति में किसान के नुकसान की भरपाई के लिए राष्ट्रीय कृषि योजना कि स्थापना की गई .
इस योजना के निम्न उद्देश्य हैं
  • प्राकृतिक आपदा, कीट या बीमारी से बरबाद होने वाली अधिसूचित फसलो को बीमा का लाभ और वित्तीय समर्थन देना
  • किसानो को खेती के हाई टेक तरीको को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना

ये योजना देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशो में उपलब्ध है जो राज्य या संघ शासित प्रदेश योजना में शामिल होने का विकल्प चुनते है उन्हें योजना में शामिल की जाने वाली फसलो की सूची तैयार करनी होती है

अधिसूचित क्षेत्रो में अधिसूचित फसल उगने वाले सभी किसान ,बटाईदार किरायेदार शामिल है

इसमे वो किसान भी आते है जो विभिन्न वित्तीय संस्थाओ से कर्ज ले कर खेती कर रहे हैं निम्नलिखित खतरों के कारण फसल बीमे की जरुरत पड़ी आग, आंधी ,भूकंप ,बाढ़ ,सुखा ,कीट ,बीमारी लेकिन युद्घ, परमाणु युद्घ ,ग़लत नीयत तथा अन्य नियंत्रण योग्य खतरों से हुए नुक्सान को इससे से बाहर रखा गया

बीमित राशिः के कवरेज की सीमा- बीमित किसान के विकल्प से सकल उत्पाद बीमा राशिः को बढाया जा सकता है ये कीमत १५० प्रतिशत तक जा सकती है शर्त यही है की फसल अधिसूचित हो और किसान वाणिज्यिक दर पर प्रीमियम का भुगतान करने को राजी हो .कर्जदार किसानों के मामले में बीमित राशि फसल के लिए ली गयी अग्रिम राशि के बराबर हो.

प्रीमियम की राशिः -खरीफ की फसलो बाजरा व तिलहन के लिए कुल बीमा धन का ३.५% या वास्तविक जो कम हो ,अनाज या दाल के लिए कुल बीमा धन का २.५% या वास्तविक जो कम हो

रबी की फसल के लिए - गेंहू के लिए बीमा धन का १.५% या वास्तविक जो कम हो अन्य फसल (अनाज व दाल) के लिए बीमित राशिः का २% या वास्तविक जो कम हो

लघु या सीमान्त किसानो को प्रीमियम में ५०% तक का अनुदान दिया जाता है

ज्यादा जानकारी के लिए इस लिंक में क्लिक कीजिये

http://www.indg.in