08 अक्तूबर 2009

कमला

अब नही सहा जाता ,कमला के बापू ने पेट पकड़े हुए कहा, कई दिनों से ही बापू बीमार था पाँच साल की कमला अपनी नन्ही नन्ही आंखों से सब देख रही थी मगर उसके बस में कुछ नही था .नुक्कड़ का डॉक्टर भी देख गया था अस्पताल जाने के पैसे भी नही थे सब कुछ शराब की भेंट चढ़ चुका था,कमला की माँ ने मंगलसूत्र बेच कर दो दिनों की दवा ला दी थी,आज कुछ बेचने को भी नही था.कर्जदार सोच रहे थे कही चल बसा तो पैसे भी डूब जायेंगे अभी तगादा कर लो वो भी वही डेरा डालकर बैठे हुए थे कमला ने नम आँखों से अपने फटे बस्तेकी और देखा और माँ से कहा, मेरा बस्ता बेच दो पिता की पथरायी आँखे कमला की ओर देख रही थी और बाहर अर्थी की तय्यारी हो रही थी.

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