आज़ाद हुए देश को इतने साल हो गए
और हम आज भी आजाद नहीं हैं
बंधे हुए हैं रुढीवादियों की जंजीरों से
इस कदर बढ़ते हुए भ्रस्टाचारों से
बढती हुई गरीबी से लाचार हैं हम
बढती हुई महंगाई से मजबूर हैं हम
कर रहें हैं फाकें इस देश में लोग
हमको ही नोच रहें है इस देश में लोग
क्या है कि कुछ लोग बरबाद नही हैं
और हम आज भी आजाद नहीं हैं
बहुत सटीक रचना!
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