मैं उब गया हर किसी से
इनसे भी उनसे भी,अपनों से,गैरों से
यहाँ तक कि आपने आप से
भी अब लगता है डर
हर सुबह निकलता हूँ
रात लौट आता हूँ फ़िर भी
खोज नही पाता हूँ मैं अपना घर
बोलूं या चुप रहूँ
निर्णय नही कर पाता हूँ
टालता हूँ आज को कल पर
इसी अंतर्द्वंद की स्थिति में
आज को बिताता हूँ
इस अनिर्णय कि स्थिति से
आख़िर उबरना होगा
इस तरफ़ या उस तरफ़
किसी तरफ़ तो बढ़ना होगा ...
हर सुबह निकलता हूँ
रात लौट आता हूँ फ़िर भी
खोज नही पाता हूँ मैं अपना घर
बोलूं या चुप रहूँ
निर्णय नही कर पाता हूँ
टालता हूँ आज को कल पर
इसी अंतर्द्वंद की स्थिति में
आज को बिताता हूँ
इस अनिर्णय कि स्थिति से
आख़िर उबरना होगा
इस तरफ़ या उस तरफ़
किसी तरफ़ तो बढ़ना होगा ...
बिल्कुल सही कहा आपने…
जवाब देंहटाएंकोई न कोई निर्णय तो लेने ही होगा…बढना ही होगा किसी न किसी तरफ़्।