19 अगस्त 2011

हाले दिल

काँटों भरी है मेरी जिन्दगी,कैसे इसके छाले तुम्हे दिखाऊँ
दुख से भरी कहानी मेरी, कैसे इसको तुम्हें सुनाऊँ
मधुशाला में पीते-पीते,पूरी उम्र गुजर जाती है
हर गम का कितना पैमाना, कैसे तुम्हें बताऊँ
हरदम हरपल तेरी बातें, हर कोई बेगाना लगता है
हर दिल से जैसे मेरा, हर रिश्ता पुराना लगता है
सबके होठों पर तेरी बातें, हर कोई दीवाना लगता है
हर रिश्ते से तेरा रिश्ता, जैसे अपना-सा लगता है
हर कोई ढूँढे मयखानों को, हर कोई दो पैमाने पीता है
मैं जो पी लूं तेरे पैमानों से, नशा सौ पैमानों सा लगता है
दो चार पैमानों को पीकर के, हर कोई बहकता रहता है
अपना तो हर आलम जैसे, फूलों जैसा हँसता है ……

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