21 अप्रैल 2009

दुःख

मैं सोचता हुं कि हमारे जीवन में समस्या नही होती तो क्या होता? क्या आप ऐसे जीवन की कल्पना कर सकते हैं
जिसमें कोई दुःख नही है वैसे देखा जाए तो दुःख के बिना जीना सम्भव ही नही है अगर समस्या नही होती तो तो हम क्या करते बस ऐसे ही बेजान पुतले की तरह जीते रहते .समस्या हमें जिंदगी से जूझने का अवसर देती है वो बोलती है की मैं तुमपे भारी आप समस्या को बोलते है की मैं तुझ पे भारी, बस इसी तरह जिन्दगी का एक पल गुजर जाता है और एक सुखी पल का एहसास आता है हमारे जीवन में, इस एहसास को हम सीने से लगाये रखते हैं ताउम्र, यही एक चीज़ है जो हमें जीना सिखाती है,जिंदगी के हर मोड़ पर लड़ना सिखाती है आने वाले दुःख को कैसे झेलना है, बताती है. दुःख कि चिंगारी बार बार हमारे जीवन में आग लगाती है और हम फिर से आने वाले सुख के लिए इससे लड़ने के लिए तैयार रहते है ऐसे में मुझे बाजीगर का वो डायलाग याद आ जाता है कि "बार-बार हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते है"
इसलिए लड़िये और लड़िये जब तक आप जीत ना जायें

3 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sundar.....aasha hi ki aage bhi aisa hi likhte rahenge.

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  2. achha likha,sach me dukh ko hara kar jeene me jo maza aata hai vo maza kisi me nahi

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  3. संदीप जी ,ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद् ,पत्तों वाला चित्र लोड नहीं हो पा रहा ,कोई तकनीकी खराबी ब्लागर बता रहा है ,मैं फिर कोशिश करूंगी , आपने अस्पताल पर अच्छा लिखा है वैसे भी मेरे गाँव मेरे देश में हर कदम पर लिखने के लिए कुछ न कुछ है
    शुभकामनाएं
    जय हिंद

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